सुनो तथागत
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साहित्यकार वंदना बाजपेयी द्वारा निर्मित |
सुनो तथागत!
सुनो तथागत!
जब से तुमनें मौन तलाशा
यशोधरा संवाद हो गई।
निष्ठायें हो गई पराजित
हुआ समर्पण बौना
मुखरित जो दालान हुआ था
छिपा लिख रहा कोना
सुनो तथागत!
जब से तुमनें त्यागी भाषा
यशोधरा अनुवाद हो गई।
सुख की लाल बही पर,
कुंठाओं ने व्यथा उकेरी
प्रश्नों की जब हुई मुनादी
उभरी पीर घनेरी
सुनो तथागत!
जब से तुमनें छोड़ी आशा
यशोधरा अवसाद हो गई।
दर्पण ने जब सत्य उकेरा
टूटा मन का सपना
शंखनाद जब हुआ समय का
सूरज भूला तपना
सुनो तथागत!
जब से तुमनें रचा तमाशा
यशोधरा अपवाद हो गई।
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