जन्मदिन शुभ हो मेरे लाल!!
| यशवर्धन |
बचपन एक ऐसा भाव होता है जो बेहद नाजुक और कोमल मन वाला होता है. व्यक्ति उसमें सदैव तटस्थ रह नहीं सकता लेकिन कामना करता रहता है. तुम कितने भी बड़े क्यों न हो जाओ हमारे लिए तुम उतने ही छोटे हो जितने 8 फरवरी 2002 में मैंने तुम्हें मिलिट्री होस्पिटल अहमदाबाद में पाया था. तुम से मिलाने वाले डॉ. गंगाधरन की शुक्रगुजार हूँ. साथ में अपनी प्रिय मित्र ममता राय जी की भी मैं आभारी हूँ. तुम्हारे जन्म के समय सोने की सलाई से ॐ शब्द का लेखन उन्हीं के हाथों संपन्न हुआ था. ये सभी मुझसे ज्यादा ख़ुशी मनाने वाले व्यक्ति थे. डॉक्टर गंगाधरन के साथ नर्स स्टैला की भी मैं शुक्रगुजार हूँ जिसने अपनी ममता का पयपान तुझे कराया क्योंकि मैं उठने-बैठने में भी असमर्थ थी. तू भूख से कुनमुना रहा ही था कि तभी डॉ. गंगाधरन राउंड पर आ गये. उन्होंने स्टैला से पूछा,"स्टैला तेरी बेटी फ़ीड करती है न?" "यस सर!" जैसे ही नर्स ने हाँ बोला वैसे ही डॉ. गंगाधरन ने कहा 'मास्टर बाजपेयी' को फीड करा दो. तत्काल उसने उनकी आज्ञा का पालन किया. यहाँ तक तुम्हारी छठी पूजा भी मिलिट्री होस्पिटल में नर्स स्टैला के हाथों ही की गयी थी. इन आदरणीय और प्रिय व्यक्तियों को ढेर सारा स्नेह ज्ञापित करती हूँ. आप सभी जहाँ हों स्नेह मिल रहा हो. इन तीन लोगों के साथ फातिमा को मैं कैसे भूल सकती हूँ. जिस दिन तुम्हारे डैडी तुम्हारे साथ मुझे घर लाये थे तो घर में स्वागत करने के लिए हमारी पड़ोसिन फातिमा ही घर की दहलीज पर मौजूद थी. फातिमा ने अपने सर पर हरा दुप्पट्टा उसी प्रकार से लपेटा हुआ था जैसा वह नवाज़ अदा करने के समय करती होगी. उसने मुझे बाहर रोकर अपने दोनों हाथों को जोड़कर कल्मा पढ़ा था. उसके बाद दूब और फूलों से अक्षत रोली छिटक कर तुझे उसी ने सबसे पहले गोदी लिया था. तुम्हारी दादी माँ भी तब वहीँ मौजूद थी. उन्होंने जब तुम्हें देखा तो बहुत खुश हुई थीं. इस प्रकार मुझे लगता है कि तुम्हारे होने में सभी धर्मों ने अपना-अपना अभीष्ट आशीष तुमको दिया है, तुम सभी के प्रति कृतज्ञ रहना. जैसे माँ अंजना अपने पुत्र हनुमान को लेकर धरती-आकाश-पाताल सभी जगह के देवताओं के पास आशीर्वाद दिलाने लेकर गयी थीं उसी प्रकार मैं सभी देवी-देवताओं अपने पूर्वजों और प्राकृतिक सनातन तत्वों का आवाहन करती हूँ कि सभी की कृपा हमारे बच्चों पर बनी रहे. उन विराट तत्वों के प्रति नतमस्तक भी हूँ. प्यारे यश तुम्हें सभी का आशीष बराबर मिल रहा है इसलिए आशा करती हूँ तुम सहज रहते हुए इस जन्मदिन से तुम थोड़े और मनुष्य बन सकोगे. प्यारे बेटे माता-पिता का होना तुम्हारे होने में निहित है इसलिए अपने और तुम्हारे डैडी के लिए कुछ अलग से नहीं लिख रही हूँ.
| मिलिट्री हॉस्पिटल अहमदाबाद में परीक्षित, प्राची और यश |
अब नंबर आता है तुम्हें सबसे ज्यादा चाहने वाले व्यक्ति का वह है तुम्हारा प्यारा भाई! जिसे तुम प्यार से 'ब्रो' कहते हो. तुम इस दुनिया में इसी विभूति के कारण आये. मेरा ये उदार प्यारा बच्चा जिसने कितनी प्रार्थनाएँ की,"मुझे भाई चाहिए" ईश्वर ने उसकी प्रार्थना स्वीकार की और उसकी गोदी में तुझे भेज दिया. तुम दोनों में जो प्यार है उसे मैं अपने जीवन की पूँजी मानती हूँ. ईश्वर हर बुरी नजर से बचाकर रखे तुम दोनों को.
| श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स |
जब तुम अपने जीवन की एक नयी यात्रा शुरू करने जा रहे थे, उस समय न मैं और न ही तुम्हारे डैडी साथ में थे क्योंकि तुम्हारे बड़े दादा जी हमारे बीच से अंतर्ध्यान हो गये थे इसलिए हम लोग रूरा में थे. जो सपना हमने देखा था उस समय तुम्हारे भाई ने माँ-पिता की भूमिका निभाई और तुम्हारा एडमीशन उसने बहुत आत्मीयता से अपना भर पूरा साथ देते हुए कराया. मुझे पता है कि तुम अपने भाई के प्रति सदैव प्रेम से भरे रहते हो. तुम दोनों का आपस में हँसमुख तालमेल मेरे जीवन की दौलत है.तुम दोनों से बस एक ही चाहत है, तुम दोनों साथ रहते हुए बस मनुष्य बने रहना!!
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