यादों का एक झोंका

जहन में एक गाँव हमेशा रहता है
जिसमें न बिजली थी
न अस्पताल था
न पाठशाला थी
न रेल गाड़ियों की
आवाजाही
न बसों की चीख-पुकार
उस गाँव में केवल वृक्ष रहते थे
अपने मित्रों और रिश्तेदारों के साथ
एक बंबा था चार-पाँच पोखर थे 
थे उसी से जुड़े कई एक कूल किनारे
उस गाँव का लोक जीवन
भ्रमित नहीं था
वह अपने पुण्यों में फलित था  
प्रकृति के लालित्य में 
मचलती हुई हरियाली तीज
ले आई वहीं से पुरवा हवा 
यादों में डूबा एक झोंका 
आज मेरी खिड़की में।
***

 

Comments

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (१४-०८-२०२१) को
    "जो करते कल्याण को, उनका होता मान" चर्चा अंक-४१५६ (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. कोमल यादों का झोंका।
    बहुत सुंदर सृजन।

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  3. कुछ भी नहीं था फिर भी बहुत कुछ था, उस गांव में

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  4. यादों से सज़ा खूबसूरत सृजन!
    हमारी खुशकिस्मती है कि हम गाँव की सुंदर वादियों में रहते हैं !

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  5. बहुत धन्यवाद आप सभी मित्रों का !

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