मिस्टर लेट-लतीफ़

देर रात तक फेसबुक पर

आप खुले रहते हैं
जब टोको उनको
तो कहते हैं हम बेहद
व्यस्त रहते हैं


धक्के देने पर भी
नहीं खुलती हैं आँखों उनकी
कहते हैं कि वे तो सदैव
चिंतनशील रहते हैं

घर को उठाए रहते हैं सर पर
जब होते हैं घर पर
कहते हैं बस बीवी की वजह से ही
ये ड्रामे होते हैं ।

घर का खाना उन्हें भाता नहीं
कभी बर्गर कभी पिज़्जा
कभी चिप्स खाते हैं
कहते हैं कार्यों में दबे हैं इतने
कि बस इन्हीं से काम चलाते हैं ।

सूट-बूट टाई में खुद को
हर पल सजाए रखते हैं
कहते हैं हम जमाने के
साथ चलते हैं

टोक देता है जब अफसर उनका
पहुंचने पर देर से दफ्तर
भड़क उठते हैं आप
और शान से कहते हैं
कि चलाते हैं दफ़्तर हम
लोगों बेमतलब ही हमें
मिस्टर लेट कहते हैं।

 ***

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

एक नई शुरुआत

आत्मकथ्य

बोले रे पपिहरा...