अच्छे लगते हैं सब दाग
गम गम गम गम गमकी चाल
होली
आई लेकर फाग
अच्छे
लगते हैं सब दाग।।
महुआ
की मादकता लेकर
झूम
रहा है दिनकर राज
भौजी
के कानों में बजता
फगुनाई
का मधुरिम साज
लाल
हुआ है टेसू भाल
अमराई
ले झूमें बाग़
अच्छे
लगते हैं सब दाग।।
दौड़ी
हुरियारों की टोली
बाबा
ने जब घोटी भंग
पान
चाबती फिरें सहेली
अम्मा
मन में होती दंग
प्रहलादी
हो मचली चाल
ढुंढी
वृत्ति मिली जब आग
अच्छे
लगते हैं सब दाग।।
चकला
बेलन चले रसोई
गुझिया
की सब करते बात
कड़छी
झाबे तवा चीमटा
चलते
रहते सारी रात
भाँग
धतूरे पूछें हाल
गूँजा
हृदय फगुनिया राग
अच्छे
लगते हैं सब दाग।।
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