पेड़ों की लाशें
रुको रुको रुको
लोगों ने कर दिया
इनकार
वे दौड़ रहे थे बेतहाशा
चारों ओर
जहां जहां थे पेड़
हाथों में कुल्हाड़ियां लिए
उन्होंने किया अट्टहास
उड़ेल दिया अपना क्षोभ
उनकी जड़ों में
वे काटने लगे पेड़ों को
गिरने लगी पेड़ों की लाशें
लथपथ
मैंने पुकारा
बचाओ बचाओ बचाओ
जब नहीं सुनी किसी ने
मेरी आवाज़
बीजों को उठाकर
मुट्ठी में
मैं लौट आई घर की ओर।
***
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