तुम कब आओगे

हरसिंगार झरने का
मौसम आया है
तुम कब आओगे
लिख देना||
 
पलकें उठा
झाँकती है जब
भोर कुहासी
खिल उठता
सोया कनेर
आँखें मदमाती
 
ओस भरी चितवन को
मौसम भाया है ।।                                     

भीगा-भीगा
आँगन है मन का
कोना भी
बिटिया का गौना है
और चने बोना भी
 
फ़सल गोड़ने-बोने का
मौसम छाया है ।।
 
ठिठक-ठिठक कर
चलता सूरज
आसमान में
सिहरन भर लाती है                         

सन्ध्या नित्य
गान में

गमलों में गेंदों का
मौसम आया है ।।
***
 

Comments

Popular posts from this blog

कितनी कैदें

आत्मकथ्य

कहानियों पर आयीं प्रतिक्रियाएँ