तुम कब आओगे
मौसम आया है
तुम कब आओगे
लिख देना||
पलकें उठा
झाँकती है जब
भोर कुहासी
खिल उठता
सोया कनेर
आँखें मदमाती
ओस भरी चितवन को
मौसम भाया है ।।
भीगा-भीगा
तुम कब आओगे
लिख देना||
झाँकती है जब
भोर कुहासी
खिल उठता
सोया कनेर
आँखें मदमाती
मौसम भाया है ।।
भीगा-भीगा
आँगन है मन का
कोना भी
बिटिया का गौना है
और चने बोना भी
फ़सल गोड़ने-बोने का
मौसम छाया है ।।
ठिठक-ठिठक कर
चलता सूरज
आसमान में
सिहरन भर लाती है
सन्ध्या नित्य
गान में
कोना भी
बिटिया का गौना है
और चने बोना भी
मौसम छाया है ।।
चलता सूरज
आसमान में
सिहरन भर लाती है
गान में
गमलों में गेंदों का
मौसम आया है ।।
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