रोशनी बे असर हो गई

आज सबको ख़बर हो गई,
रोशिनी बे असर हो गई |

हम रदीफ़ों में उल्झे रहे,
काफ़िये में कसर हो गई |

खो गए इस कदर भीड़ में,
जिन्दगी दर-ब-दर हो गई |

दर्द को ज्यों लगाया गले
रात काली सहर हो गई |

फूल बोते रहे उम्र भर
क्यों कटीली डगर हो गई |

साथ माझी का जैसे मिला
साहिलों को ख़बर हो गई |

‘कल्प’ से यूँ ही चलते हुए
हर किसी की गुजर हो गई |

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