जल्दी




वह रोई जब-जब
लोगों ने लगाया अनुमान
अपने अनुसार

बिना सोचे -समझे
रख दिया गया उसके रोने को
ईर्ष्या ,जलन और प्रतिस्पर्धा
के दूसरे पल्ले में
और लगा कर जोर
तौल दिया गया

वह बावरी देखती रही
डबडबाई आँखों से
 शायद अब कोई पूछेगा उससे
उसके रोने का कारण

तो बताएगी वह रोने का
सही कारण
लेकिन ये क्या ?
लोगों को पूछने की नहीं
होती है जल्दी
अपनी कहने की ।

-कल्पना मनोरमा 

Comments


  1. वह बावरी देखती रही
    डबडबाई आँखों से
    शायद अब कोई पूछेगा उससे
    उसके रोने का कारण

    मन की बात कह गई आप
    बहुत ही सुंदर पंक्तियां

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