सब्ज़ीवाला
सब्ज़ीवाला आया था
ठेली भरकर ताज़ी सब्ज़ी लाया था
हरे-भरे धनिया के साथ
मुँह बंद किये
कुछ गोभी सोये भी थे
उसकी ठेली पर
आँख पनीली करने वाली
मिर्ची सुइया थी उसकी थैली में
सब्ज़ी ले लो!
आवाज़ भी लगाता है
रोज ही सब्जीवाला
इस झुग्गी बस्ती में आता है
झुग्गी का दरवाज़ा खुलता भी है
कला लपक कर उसकी ओर
बढ़ती भी है
हरा धनिया और नींबू
आहा!
पनीला चटकारा लगाकर
वह कहती भी है
किन्तु उसकी डलिया चुनती है
सिर्फ़ बूढ़ी खाल वाले
चार आलुओं को
सब्ज़ी वाला चला जाता है
कम आमद के साथ कल फिर आने को
कला खोलती भी है बटुआ कल के लिए
पर चुनाव जानता है अपना कर्तव्य
कल भी चुनेगा वह
सिर्फ चार आलुओं को
कला की रसोई के लिए
बंद कर मुँह बटुए का
चली जाती है कला
सेंकने ख़ुद को तवे पर
बिना नमक .
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