विभोम-स्वर


हम इस दौर में जी रहे हैं जहाँ अति शब्द, जीवन का पर्याय बनता जा रहा है | अति शब्द ने एक क्षेत्र में नहीं अपितु दुनिया के हर क्षेत्र में अपनी महिमा फैला रखी है, तो साहित्य का क्षेत्र इसकी जद में आये बिना भला कैसे बचाता | आजकल के दौर-ए-लेखक में लेखक बनना और पत्रिका निकालना एक बेहद आम-सी बात होती जा रही है लेकिन इस गिरहकट समय में भी कुछ लोग हैं जो अपने तर्कों और नियमों पर 'अति' का ख़ारिज करते हुए कार्य कर रहे हैं | उनमें से एक है "विभोम स्वर" पत्रिका का प्रबुद्ध सम्पादक  मंडल और प्रधान सम्पादिका डॉ० सुधा ओम ढींगरा जो एक कुशल कहानीकार,कवि,पत्रकार,साहित्यसेवी के साथ-साथ  एक सूक्ष्म दृष्टि रखने वाली संपादक भी हैं | इनके द्वारा पत्रिका का कलेवर तो पठनीय होता ही है | साथ में मुद्रण सम्बन्धी तकनीकी विधि भी तारीफ़ के योग्य है | इस अंक की सम्पादकीय पढ़ते हुए कई तथ्यों से रु-ब-रु हुई |मुझे हर्ष है कि मैं भी इस अंक का हिस्सा  हूँ ...विभोम-स्वर से जुड़े सभी सुधी जनों को कोटिश:बधाई !!

मित्रो, वैश्विक हिन्दी चिंतन की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका "विभोम-स्वर" का वर्ष : 5, अंक : 19, त्रैमासिक : अक्टूबर-दिसम्बर 2020 अंक का वेब संस्करण अब उपलब्ध है। इस अंक में शामिल है- संपादकीय, मित्रनामा, साक्षात्कार- प्रोफ़ेसर नीलू गुप्ता से सुधा ओम ढींगरा Sudha Om Dhingraकी बातचीत। कथा कहानी- मौसमों की करवट- प्रज्ञा Pragya Rohini, परदेस के पड़ोसी- अनिल प्रभा कुमारAnilPrabha Kumar, वह उस्मान को जानता है- रमेश शर्मा, नियर अबाउट डेथ- डॉ. सन्ध्या तिवारी, टी-सैट- उषाकिरणUsha Kiran, ढलती शाम का हम सफ़र- मार्टिन जॉनMartin John, शहर भीतर गाँव, गाँव भीतर शहर- डॉ. विनीता राहुरीकरVinita Rahurikar, प्रमोशन- सतीश सिंह, व्यस्त चौराहे- मीना पाठक। लघुकथाएँ- सौतेला नागरिक- रीता कौशल, राजनीति के कान- कमलेश भारतीयKamlesh Bhartiya। भाषांतर- शो-केस में रखा ताजमहल- बलविंदर सिंह बराड़, अनुवाद: सुभाष नीरवSubhash Neerav। व्यंग्य- एक मुर्दा चर्चा- @प्रेम जनमेजय,प्रेम जनमेजयवर्तमान समय और हम- हरीश नवलHarish Naval, राजनीतिक प्रेरणा- एक विवेचना- कमलेश पाण्डेयKamlesh Pandey। संस्मरण- मेरे हिस्से के शरद जोशी- वीरेन्द्र जैनVirendra Jain। शहरों की रूह- रॉले, कैरी तथा मोर्रिस्विल्ल, नॉर्थ कैरोलाइना- बिंदु सिंह, अमृत वाधवा। आलेख- संकटकालीन समय में रचे विश्व साहित्य: एक आत्मविश्लेषण और उम्मीद की किरण- डॉ. नीलाक्षी फुकन । पहली कहानी- ममता की कशिश- ममता त्यागी। ग़ज़ल- अखिल भंडारी। गीत- सूर्यप्रकाश मिश्र, श्याम सुंदर तिवारी कविताएँ- रचना श्रीवास्तव, डॉ. संगम वर्मा, कल्पना मनोरमा, रेखा भाटिया, नंदा पाण्डेय, आख़िरी पन्ना। आवरण चित्र- पारुल सिंहParul Singh, रेखाचित्र - रोहित प्रसादRohit Prasad Pathik, डिज़ायनिंग सनी गोस्वामीSunny Goswami, शहरयार अमजद ख़ानShaharyar Amjed Khan, आदि के साथ मेरी लेखनी को भी स्थान मिला | 
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