भेड़ चाल


देखो भाई! साफ़ सीधी बात है, जब शिक्षक बिस्तर में बैठ कर हमारे बच्चों को पढ़ायेगा तो फ़ीस भी मैं किसी भी कीमत पर नहीं दूँगा ।” ऑनलाइन पी.टी. एम. में जुटे अभिभावकों में से एक अभिभावक ने शिक्षकों के लॉग आउट होते ही कहा । सुनते ही, कुछ अभिभावक सोचने लगे तो कुछ ने हाँ हाँ कह कर बात को सही ठहराया और कुछ ने चटपट “फ़ीस घटाओ नहीं तो हम अपने बच्चों को स्कूल से निकाल लेंगे”सब्जेक्ट वाला लेटर तैयार कर मेल पर सबको पढ़वा भी दिया ।
गुप्ता साहब बिलकुल सही कह रहे हैं।” एक अति उत्साही माता-पिता बोल उठे तो गुप्ता का मनोबल बढ़कर सातवें आसमान पर जा लगा।
प्यारे साथियो ! तो अब बताइये आगे क्या कदम उठाया जाये ?”
उसमें बताना क्या साहब ? हम सब तैयार हैं और आपके साथ भी हैं । गुप्ता जी, आप कहें तो आज ही अपने बच्चों के नाम कटवा लें ? और वैसे भी नर्सरी, के. जी. के बच्चे यदि साल भर नहीं पढ़ेंगे तो कुछ बिगड़ नहीं जाएगा|"
गुप्ता जी ने गुमान में भरकर कॉलर उचकाया “जय हो हमारी बुद्धि की|
जय हो, जय हो, जय हो कहीं मोबाइल पर तो कहीं कंप्यूटर पर गुप्ता की जयजयकार गूँज उठी|
अभी के लिए तो ठीक है लेकिन विद्यालय और अध्यापक की भूमिका हमारी सोच से कहीं ज्यादा बड़ी है । वे चाहे घर में रहकर पढ़ाएं या स्कूल में; सोचते आपके बच्चों के भविष्य के लिए ही हैं।" राय जी ने अपनी सशक्त भावना प्रदर्शित करते हुए कहा ।
आप भी कमाल करते हो राय साहब ! कैसे आदमी हो?” आधे से ज्यादा अभिभावकों ने अपने माइक्रोफोन ऑन कर राय साहब को फटकारने के अंदाज में बोला ।
ठीक है। आप सब कहते हैं तो आपके साथ मैं भी हो लेता हूँ लेकिन गुप्ता साहब को यहीं, सबके समाने मुझसे एक प्रॉमिस करनी होगी|”
एक नहीं तीन प्रॉमिस करने को तैयार हूँ ।” गुप्ता ने ठसक में ठसककर कहा।
सभी ने एक स्वर में गुप्ता की बात का अनुमोदन भी कर दिया तो राय साहब बोल पड़े।
जब सबकुछ ठीक हो जाएगा तब हमारे बच्चों के री-एडमीशन की भागा-दौड़ी और खर्चा सब गुप्ता जी को करना पड़ेगा । साथ में विद्यालय भी यही चाहिए रहेगा ।”
गुप्ता साहब अपना वीडियो-ऑडियो ऑन कीजिये और कुछ कहिये ।” मीटिंग के ऑर्गनाइजर ने जब तक ये कहा तब तक गुप्ता साहब लॉग आउट हो चुके थे ।



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