लड़कियाँ
लड़कियाँ कुछ सोचती रहती हैं
और कुछ देखती रहती हैं
लगातार अपने सिर के ऊपर
नीले आसमान पर
बिन बुलाए चाँद को चुपके से
उतरते अपनी छत पर
पकड़े धवल चाँदनी
का हाथ
लगातार अपने सिर के ऊपर
नीले आसमान पर
बिन बुलाए चाँद को चुपके से
उतरते अपनी छत पर
पकड़े धवल चाँदनी
का हाथ
लड़कियाँ नहीं चिढ़ती हैं
देखकर चाँदनी के साथ
अपने चाँद को
वे हँसकर ले लेती हैं अपने भर
चाँदपन उस गोरे चाँद से
जो छलिया है
देखकर चाँदनी के साथ
अपने चाँद को
वे हँसकर ले लेती हैं अपने भर
चाँदपन उस गोरे चाँद से
जो छलिया है
फिर आता है सूरज लिए मुट्ठियों में
गेरुआ रंग
लड़कियाँ दूर से महसूसती हैं
उसका सुनहरापन अपने
अबूझे अँधेरे में
गेरुआ रंग
लड़कियाँ दूर से महसूसती हैं
उसका सुनहरापन अपने
अबूझे अँधेरे में
कहने को रातरानी भी
बिखेरती है खुशबू जी भर
रोज ही रात के दामन में
लेकिन लड़कियों से पहले
पहुँच जाती है वहाँ चंचल हवा
अधिकार जमाने
लड़कियाँ सब कुछ छोड़कर हवा के लिए
ले लेती हैं खिलन उन फूलों से
जो कुछ क्षणों के मेहमान हैं
इस धरती पर
बिखेरती है खुशबू जी भर
रोज ही रात के दामन में
लेकिन लड़कियों से पहले
पहुँच जाती है वहाँ चंचल हवा
अधिकार जमाने
लड़कियाँ सब कुछ छोड़कर हवा के लिए
ले लेती हैं खिलन उन फूलों से
जो कुछ क्षणों के मेहमान हैं
इस धरती पर
ऐसे ही क्षितज की मुँड़ेर पर
उड़ते कतारबद्ध परिंदे भी
बन जाते हैं हमराज़ लड़कियों के
उनकी उड़न में महसूस कर लेती हैं
वे खुद कोऔर मना भी लेती हैं
अपनी काया को
चाहरदीबारी के भीतर
बनी रहने के लिए
उड़ते कतारबद्ध परिंदे भी
बन जाते हैं हमराज़ लड़कियों के
उनकी उड़न में महसूस कर लेती हैं
वे खुद कोऔर मना भी लेती हैं
अपनी काया को
चाहरदीबारी के भीतर
बनी रहने के लिए
लेकिन परवाज़ मन
फुसफुसाता है उनसे कानों में
चुपके-चुपके
वह कहता है छलाँगने को
घुटन और अंधकार की
सीलन भरी साँसों से बाहर
विराट खुले में
फुसफुसाता है उनसे कानों में
चुपके-चुपके
वह कहता है छलाँगने को
घुटन और अंधकार की
सीलन भरी साँसों से बाहर
विराट खुले में
कहते-कहते वह चीखने लगता है
कि जिंदगी घुटने टेकने का नाम नहीं
बल्कि मौलसिरी की डाल पर लगा
एक बहतरीन पुष्प है
फैल जाने दो इसकी खुशबू
अपने बाहर
कि जिंदगी घुटने टेकने का नाम नहीं
बल्कि मौलसिरी की डाल पर लगा
एक बहतरीन पुष्प है
फैल जाने दो इसकी खुशबू
अपने बाहर
लेकिन बाहर कुछ ऐसा नहीं है
उसके लिए
जिसमें रमकर जिया जा सकता हो
खुशी और मिठास को
उसके लिए
जिसमें रमकर जिया जा सकता हो
खुशी और मिठास को
लड़कियाँ मींच लेती हैं आँखें
और जी लेती हैं अपनी जिंदगी
मन के कोरे बहकावे में ही सही
पल दो पल ।
और जी लेती हैं अपनी जिंदगी
मन के कोरे बहकावे में ही सही
पल दो पल ।
कल्पना मनोरमा
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